इंदौर: साइबर ठगों से लूटी रकम वापस, पुलिस ने 6 राज्यों में 49 बैंक खाते फ्रीज किए



इंदौर। साइबर अपराधियों के शिकंजे में फंसे एक रिटायर्ड प्रोफेसर के लिए इंदौर पुलिस की मुस्तैदी राहत बनकर सामने आई। लिवर ट्रांसप्लांट के लिए संजोए गए 33 लाख रुपये की ठगी का शिकार हुए प्रोफेसर रवींद्र बापट को पुलिस की तत्परता से 26 लाख रुपये वापस मिल गए हैं। पुलिस ने इस हाई-प्रोफाइल ठगी मामले में 6 राज्यों में फैले 49 बैंक खातों को फ्रीज कराकर रकम रिफंड करवाई।

कैसे हुआ साइबर फ्रॉड?

सितंबर 2024 में प्रोफेसर रवींद्र बापट को एक अनजान नंबर से फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को किसी जांच एजेंसी का अधिकारी बताया और कहा कि उनके नाम से मलेशिया में एक संदिग्ध कोरियर भेजा गया है, जिसमें ड्रग्स और कई देशों के पासपोर्ट पाए गए हैं। ठगों ने उन्हें सीबीआई और अन्य जांच एजेंसियों के नाम पर धमकाया और धीरे-धीरे उनकी सारी जमा पूंजी हड़प ली।

पुलिस ने कैसे तोड़ा ठगों का जाल?

प्रोफेसर बापट ने जब इंदौर क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई, तो पुलिस ने त्वरित जांच शुरू की। एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया के नेतृत्व में साइबर सेल ने ट्रांजेक्शन ट्रेस किए और ठगों के नेटवर्क तक पहुंच बनाई। इसके बाद 6 राज्यों में फैले 49 संदिग्ध बैंक खातों को फ्रीज कर 26 लाख रुपये की रिकवरी करवाई गई।

बढ़ते साइबर अपराध और पुलिस की सतर्कता

इंदौर में साइबर ठगी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। ठग नए-नए तरीकों से लोगों को शिकार बना रहे हैं। पुलिस द्वारा समय रहते उठाए गए कदमों से न केवल प्रोफेसर बापट को राहत मिली, बल्कि यह अन्य साइबर ठगी पीड़ितों के लिए भी उम्मीद की किरण बनी।

पुलिस को धन्यवाद, सतर्कता जरूरी

रकम वापस मिलने के बाद रिटायर्ड प्रोफेसर बापट ने इंदौर पुलिस का आभार जताया और नागरिकों से सतर्क रहने की अपील की। उन्होंने कहा, "अगर किसी अनजान नंबर से कॉल आए और बैंक डिटेल मांगी जाए, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।"

पुलिस ने भी जनता को साइबर फ्रॉड से बचने के लिए जागरूक रहने और किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज की तुरंत सूचना देने की सलाह दी है।

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