ट्रैन हाईजैक : क्वेटा पहुंचे पीएम शहबाज शरीफ, बीएलए ने सेना के दावे को किया खारिज



क्वेटा, पाकिस्तान । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को बलूचिस्तान प्रांत का दौरा किया जहां अलगाववादी चरमपंथियों ने एक ट्रेन पर हमला कर 400 से अधिक यात्रियों को बंधक बना लिया था।सरकार ने बताया कि शरीफ क्वेटा के एक दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान उन्हें क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति के बारे में जानकारी दी जाएगी।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चरमपंथियों से बचाए गए कई लोग क्वेटा पहुंच हैं।

प्रधानमंत्री शरीफ ने बुधवार को एक्स पर एक पोस्ट में हमले की निंदा की और कहा, "ऐसी कायरतापूर्ण हरकतें पाकिस्तान के शांति के संकल्प को हिला नहीं पाएंगी।"

शरीफ का दौरा ऐसे समय में हुआ जब अलगाववादी ग्रुप बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने सेना के इस दावे को खारिज कर दिया कि संघर्ष समाप्त हो गया है। उसने कहा कि 'लड़ाई' जारी है और उसने अभी भी लोगों को बंधक बनाया हुआ है।

पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि 300 यात्रियों को बचा लिया गया. सेना के प्रवक्ता ने कहा कि यात्रियों को बचाने के लिए चलाए गए उसके अभियान में 33 चरमपंथियों की मौत हो गई।

सेना के अनुसार, कुल 21 बंधकों और चार सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई। हालांकि बीएलए ने कहा कि 50 बंधकों को मार दिया गया।

चरमपंथियों ने मंगलवार दोपहर को बलूचिस्तान प्रांत में क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस पर हमला कर यात्रियों को बंधक बना लिया था। ट्रेन में 400 यात्री सवार थे।

बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) इसकी जिम्मेदारी ली जिसका कहना था कि अगर सरकार ने 48 घंटों के अंदर बलूच राजनीतिक कैदियों को नहीं छोड़ा तो वो सभी बंधकों को मार देंगे।

बीएलए ने कहा कि पाकिस्तान ने जिन लोगों को बचाने का 'दावा' किया है, उन्हें वास्तव में समूह ने ही छोड़ा था।

बीएलए बलूचिस्तान की आजादी चाहता है। यह कई जातीय विद्रोही समूहों में से सबसे बड़ा है, जिसने दशकों से पाकिस्तान सरकार से लड़ाई लड़ी है। संगठन का कहना है कि सरकार बलूचिस्तान के समृद्ध गैस और खनिज संसाधनों का अनुचित तरीके से दोहन कर रही है।

बीएलए को पाकिस्तान, ईरान, चीन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ ने आतंकी संगठन घोषित किया है।

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है। इसे भू-आर्थिक और भू-रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जाता है फिर भी यह अशांत रहता है। बलूचिस्तान को प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर माना जाता है। इसके बावजूद विकास की दौड़ में सबसे पीछे रह गया है।

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