नई दिल्ली: केंद्रीय बजट 2025 में भारतीय रेलवे को लेकर बड़े फैसले लिए जाने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, रेलवे के पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में 15-20% की वृद्धि की जा सकती है, जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर और सेवाओं में व्यापक सुधार होगा।
वर्तमान वित्त वर्ष में रेलवे को ₹2.65 लाख करोड़ का आवंटन मिला था, जिसे आगामी बजट में ₹3 लाख करोड़ या उससे अधिक किए जाने की उम्मीद है। इसका मुख्य उद्देश्य आधुनिक रेलवे स्टेशन विकसित करना, नई और हाई-स्पीड ट्रेनों का संचालन शुरू करना, और ट्रैक नेटवर्क पर भीड़भाड़ कम करना होगा।
रेलवे मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि सरकार की प्राथमिकता यात्रियों की सुविधाओं को बढ़ाने और रेल नेटवर्क को और अधिक कुशल बनाने की होगी। इससे यात्रियों को तेज़, सुरक्षित और सुविधाजनक सफर का लाभ मिलेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को संसद में वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश करेंगी, जिसमें रेलवे के लिए कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती हैं। देखना दिलचस्प होगा कि इस बजट में रेलवे यात्रियों और उद्योग के लिए क्या नई सौगातें आती हैं।
20% तक बढ़ाया जा सकता है रेलवे में कैपेक्स पर आवंटन
रेलवे से जुड़े एक सूत्र के अनुसार आने वाले बजट में रेलवे के पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) पर आवंटन 20 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। रेलवे के अनुमानों के अनुसार पिछले बजट में इस मद में मिले 2.65 लाख करोड़ रुपये में से रेलवे ने अब तक करीब 80 फीसदी खर्च कर लिए हैं। एक वरीय अधिकारी के अनुसार रेलवे बोर्ड ने चालू वित्तीय वर्ष में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं। उनके अनुसार वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले कैपेक्स का लक्ष्य पूरी तरह से हासिल कर लिया जाएगा।
रेल बजट में आम लोगों के खास अनुभव के लिए क्या होगा एलान?
आने वाले साल के लिए पेश होने वाले बजट में वित्त मंत्री आम लोगों को खास अनुभव देने के लिए रेलवे के लिए बड़ा एलान कर सकती हैं। इस बजट में सरकार की ओर से नए ट्रैक बिछाने और पुराने ट्रैकों को अपग्रेड करने के लिए ज्यादा आवंटन का एलान हो सकता है। रोलिंग स्टॉक लोकोमोटिव, वैगन और कोचों की खरीद पर भी खर्च बढ़ाया जा सकता है। सरकार की महत्वाकांक्षी मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर (एमएएचएसआर) पर सरकार अपना खर्च बढ़ाना जारी रख सकती है। परियोजना में गति तेज करने के लिए बुलेट ट्रेन के बजट आवंटन में इजाफा किया जा सकता है। इसके अलावे, कारोबार जगत ने भी सरकार से अपील की है कि वह बड़े पूंजीगत व्ययों पर खर्च बढ़ाना जारी रखे, जिससे निजी निवेश को प्रोत्साहन मिले और नरम पड़ी वृद्धि दर दोबारा ट्रैक पर लौट सके।
पीपीपी मोड के तहत रेलवे पर खर्च बढ़ाने की तैयारी
देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्तीय वर्ष में चार साल के निचले स्तर पर पहुंचकर 6.4% रहने का अनुमान है। पिछले वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा 8.2% था। केंद्र सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में पूंजीगत व्यय के लिए 11.1 लाख रुपये मुहैया कराए हैं। यह राशि पिछले वित्त वर्ष (2023-24) की पूंजीगत व्यय के लिए निर्धारित राशि 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इस राशि का बड़ा हिस्सा रेलवे और सड़क जैसी बड़ी परियोजनाओं पर खर्च किया गया है। वित्तीय वर्ष 2026 में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी मोड) के तहत निवेश लक्ष्य बढ़ाने की उम्मीद है। रेलवे ने चालू वित्तीय वर्ष में पीपीपी के तहत पूंजीगत खर्चों पर 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है, इसका 90% मध्य जनवरी तक खर्च किया जा चुका है।
बुनियादी ढांचे के विकास और यात्री सुविधाओं पर रहेगा सरकार का जोर
चालू वित्त वर्ष में रोलिंग स्टॉक के लिए 50,903 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना थी। नई लाइनें, गेज परिवर्तन, ट्रैक दोहरीकरण, यातायात सुविधाएं, रेलवे विद्युतीकरण, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में निवेश और महानगरीय परिवहन सहित क्षमता वृद्धि कार्य के लिए आवंटन 1.2 लाख करोड़ रुपये था। इस वर्ष सुरक्षा संबंधी कार्यों के लिए 34,412 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। वित्तीय वर्ष 2025 में रेलवे ने बुलेट ट्रेन परियोजना को क्रियान्वित करने वाली इकाई नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचआरसीएल) पर 21,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई थी। इस बार के बजट में इस महत्वपूर्ण कॉरिडोर के काम में तेजी लाने और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आवंटन में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। रेलवे नए वित्तीय वर्ष में आधुनिक वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों का परिचालन भी शुरू करने वाला है। इससे जुड़े एलान भी बजट में हो सकते हैं। इससे लंबी यात्राओं के दौरान यात्रियों का अनुभव बेहतर होने की उम्मीद है।