जबलपुर। पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाने वाले गिद्धों को लेकर वन विभाग ने प्रदेशव्यापी गणना अभियान की तैयारी कर ली है। गिद्ध, जिन्हें प्रकृति के 'स्वच्छता कर्मी' कहा जाता है, मृत पशुओं के अवशेष खाकर वातावरण को स्वच्छ रखते हैं और संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने में सहायक होते हैं। इसी उद्देश्य से वन विभाग हर वर्ष गिद्धों की गणना कर उनकी स्थिति का आकलन करता है।
इस क्रम में जबलपुर वन वृत्त के तहत गिद्ध गणना-2025 की कार्यशाला 31 जनवरी को सामाजिक वानिकी वृत्त कार्यालय, ग्वारीघाट, जबलपुर में आयोजित की गई। इस कार्यशाला में वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल के मास्टर ट्रेनर मोहनदास नागवानी ने गिद्धों की पहचान और प्रजातिवार गणना की विस्तृत प्रक्रिया पर जानकारी साझा की।
गिद्धों को नुकसान पहुंचाने वाली दवाओं पर लगा प्रतिबंध
गिद्धों की घटती संख्या को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने पशुओं के उपचार में उपयोग होने वाली डिकलोफेनाक, ऐसेक्लॉफीनाक, केटोप्रोफेन और निमेसुलाइड जैसी दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये दवाएं गिद्धों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हुई हैं, जिससे उनकी मृत्यु दर में वृद्धि हो रही थी।
विंटर और समर काउंट की होगी निगरानी
गिद्ध गणना दो चरणों में होगी—
- विंटर काउंट : 17, 18 और 19 फरवरी को तीन दिवसीय सर्वेक्षण किया जाएगा।
- समर काउंट : 29 अप्रैल को एक दिवसीय गणना की जाएगी।
इस कार्यशाला में संयुक्त वनमंडलाधिकारी जबलपुर प्रदीप श्रीवास्तव सहित जबलपुर, कटनी, डिंडोरी और पश्चिम मंडला के परिक्षेत्र अधिकारी तथा 50 से अधिक वनकर्मी मौजूद रहे।
गिद्ध संरक्षण को लेकर यह अभियान वन विभाग की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो न केवल जैव विविधता को बनाए रखने में सहायक होगा, बल्कि पर्यावरण संतुलन के लिए भी आवश्यक है।