एजेंसी। चुनावों के दौरान देश में बिहार राज्य को सबसे अधिक हिंसाग्रस्त माना जाता था, लेकिन बंगाल अब बिहार से कई कदम आगे निकलता जा रहा है। जिसकी परिणति स्वरूप आजादी के पूर्व देश के सबसे बड़े समाज सुधारक ईश्वरचंद्र विद्यासागर की 200 साल मूर्ति उपद्रवियों ने तोड़ दी। कोलकाता में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान हुई हिंसा में महान दार्शनिक, समाजसुधारक और लेखक ईश्वरचंद विद्यासागर की मूर्ति का यह अपमान सहना पड़ा। जिसके लिए टीएमसी ने भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों पर आरोप लगाया है। इसी घटना का विरोध जताते हुए सांकेतिक तौर पर टीएमसी और पार्टी नेताओं ने अपने ट्विटर प्रोफाइल फोटो में विद्यासागर की तस्वीर लगाई है। वहीं भाजपा ने दिल्ली स्थित जंतर-मंतर पर मौन प्रदर्शन कर घटना के खिलाफ विरोध जताया है। आजादी के पूर्व 1872 में उच्च शिक्षा के लिए ना केवल पश्चिम बंगाल बल्कि पूरे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण साल माना जाता है। यह ऐसा पहला निजी कॉलेज है, जिसे भारतीयों ने चलाया, इसमें पढ़ाने वाले शिक्षक भी तभी से भारतीय ही रहे।यहां तक कि कॉलेज का वित्तीय प्रबंधन भी भारतीय ही करते रहे। पंडित ईश्वरचंद्र विद्यासागर के उत्साह, आकांक्षा और बलिदान के कारण, कॉलेज ने 1879 में स्नातक स्तर तक की शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय को मान्यता प्राप्त कराई। बीएल कोर्स के लिए कॉलेज को 1882 में मान्यता मिली। इस कॉलेज के खुलने से उच्च शिक्षा में यूरोपियों का एकाधिकार समाप्त हो गया। कॉलेज के संस्थापक ईश्वरचंद्र विद्यासागर का निधन 29 जुलाई, 1891 को हो गया था, जिसके बाद साल 1917 में कॉलेज का नाम बदलकर विद्यासागर कॉलेज किया गया। इसी दौरान ये मूर्ति यहां स्थापित की गई थी।
भाजपा ने चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की
कोलकाता में अमित शाह की रैली से पहले हुए बवाल और हिंसा के बाद सियासत तेज हो गई है। भाजपा इसके लिए ममता सरकार पर आरोप लगा रही है, तो वहीं सीएम ममता बनर्जी ने भाजपा पर गुंडागर्दी का आरोप लगाया है। भाजपा ने चुनाव आयोग से हिंसा की शिकायत करते हुए तत्काल कार्रवाई की मांग कर रही है।
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