जाधव की सुनवाई के दौरान आईसीजे में भारत का तीखे तेवर, पाक अफसर ने बढ़ाया हाथ, भारत ने दिया झटका

अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) में कुलभूषण जाधव केस की सुनवाई से पहले भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों का आमना-सामना हुआ। इस दौरान एक बड़ा ही रोचक वाकया घटा। दरअसल, कुलभूषण जाधव केस की सुनवाई से पहले भारत की तरफ से वरिष्‍ठ वकील हरीश साल्‍वे और विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेकेट्री दीपक मित्तल बैठे हुए थे। इसी बीच उनकी टेबल पर पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल मंसूर खान पहुंच गए। मंसूर ने खान ने ज्वाइंट सेकेट्री दीपक मित्तल से हाथ मिलाने को आगे बढ़ाया। लेकिन, मित्तल ने अपनी ही तरह से करारा जवाब देते हुए केवल हाथ जोड़कर अभिवादन किया। इसके साथ ही मित्तल के साथ मौजूद अधिकारियों ने भी मंसूर खान से हाथ नहीं मिलाया। केवल वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने ही मंसूर से हाथ मिलाया।

पाक को कड़ा संदेश

दीपक मित्तल के हाथ न मिलाने को लेकर दावा किया जा रहा है कि भारत हर मौके पर पाकिस्तान को कड़ा संदेश भेजने में कोई कमी नहीं रखना चाहता है। इसके साथ ही पाकिस्तान को दुनियाभर में अलग-थलग करने के लिए कई कूटनीतिक दबाव बना रहा है।

पहले भी हो चुका ऐसा..

15 मई 2017 को भी इस मामले पर आईसीजे में सुनवाई हुई थी। इस दौरान दीपक मित्तल ने कोर्ट को पूरे मामले के बार में बताया था। कार्यवाही के दौरान जब पाकिस्तान के वकील मोहम्मद फैजल ने मित्तल की तरफ हाथ बढ़ाया, तब उन्होंने हाथ नहीं मिलाया था। उन्होंने हाथ जोड़ लिए थे।
2017 में मई में ही वित्त मंत्री अरुण जेटली एक कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए जापान गए थे। इस दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन वित्त मंत्री इशाक डार भी मंच पर ही मौजूद थे। लेकिन, जेटली ने उनसे हाथ नहीं मिलाया।

इधर, साल्वे ने कहा- पाक में जाधव के मुकदमे को घोषित करें गैरकानूनी

भारत ने सोमवार को कहा कि पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव पर चलाया गया मुकदमा कानूनी प्रक्रिया के न्यूनतम मानकों को भी पूरा करने में नाकाम रहा। अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) को उस मुकदमे को ‘गैरकानूनी’ घोषित करना चाहिए। भारत ने यह आग्रह तब किया जब भारतीय नागरिक जाधव (48) को जासूसी के आरोप में एक पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाने के मामले में चार दिवसीय सार्वजनिक सुनवाई सोमवार को शीर्ष संयुक्त राष्ट्र अदालत में शुरू हुई। भारत ने सुनवाई के पहले दिन दो मूल मुद्दों के आधार पर अपना पक्ष रखा जिनमें राजनयिक संपर्क पर वियना संधि का उल्लंघन शामिल है। भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने कहा, यह ऐसा दुर्भाग्यपूर्ण मामला है जहां एक निर्दोष भारतीय की जिंदगी दांव पर है। उन्होंने कहा, पाकिस्तान का पक्ष पूरी तरह से जुमलों पर आधारित है, तथ्यों पर नहीं। साल्वे ने कहा कि राजनयिक संपर्क के बिना जाधव को निरंतर हिरासत में रखने को गैरकानूनी घोषित किया जाना चाहिए। साल्वे ने कहा कि पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा जाधव पर चलाया गया मुकदमा कानूनी प्रक्रिया के न्यूनतम मानकों को भी पूरा करने में नाकाम रहा। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के किसी कृत्य में जाधव की संलिप्तता के ‘विश्वसनीय साक्ष्य’ नहीं दिए और जाधव का कथित कबूलनामा स्पष्ट रूप से ‘दबाव में’ दिया गया बयान नजर आता है। साल्वे ने कहा, इसमें कोई संदेह नहीं कि पाकिस्तान इसका इस्तेमाल दुष्प्रचार के लिए कर रहा है। पाकिस्तान को बिना देरी राजनयिक संपर्क की अनुमति देनी चाहिए थी। भारत के वकील साल्वे ने कहा, पाकिस्तान ने कबूलनामा दस्तावेज को दुष्प्रचार के लिए इस्तेमाल किया। पाकिस्तान ने वियना संधि का उल्लंघन किया है। साल्वे ने कहा कि भारत ने जाधव को राजनयिक से मिलने देने के लिए पाकिस्तान को 13 रिमाइंडर भेजे हैं लेकिन इस्लामाबाद ने अब तक इसकी अनुमति नहीं दी है।

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