मुनिश्री योगसागर महाराज के ससंघ सानिध्य में पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई : घटयात्रा व ध्वजारोहण के साथ विधानों का श्रीगणेश

जबलपुर। संत शिरोमणी आचार्यश्री विद्यासागर महाराज के धर्मप्रभावक शिष्य मुनिश्री योगसागर महाराज के ससंघ सानिध्य में रविवार 17 फरवरी से श्रीमज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथ महोत्सव का शुभारंभ हुआ। धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री योगसागर ने कहा कि यह गजरथ महोत्सव देश में शांति की मंगल कामना के साथ शुरू हो रहा है, वस्तुत: ‘शांतिधारा-जाप का यही मूल निहितार्थ है। इसलिए सबसे पहले सभी दो मिनट का मौन रखकर पुलवामा के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे। 
दोपहर 12 बजे गुरुकुल से निकली घटयात्रा त्रिपुरी होकर लौटी- दोपहर 12 बजे श्री वर्णी दिगम्बर जैन गुरुकुल परिसर के सामने से घटयात्रा निकली, जो त्रिपुरी-चौक होते हुए वापस गजरथ-स्थल पहुंची। घटयात्रा में तीन सैकड़ा से अधिक महिलाएं और युवतियां शामिल रहीं। श्रावकों और श्रद्धालुओं को मिलाकर घटयात्रा व श्री जी शोभायात्रा जूलस को भव्यता प्रदान करने वाले जैन धर्मावलंबियों की कुल संख्या लगभग एक हजार रही। 
घटयात्रा के बाद गजरथ स्थल पर हुआ ध्वजारोहण- घटयात्रा, श्रीजी की शोभायात्रा के जुलूस, मंडपप्रवेश, मंडप उद्घाटन, मंडप शुद्धि, वेदी संस्कार शुद्धि, अभिषेक, शांतिधारा, श्री जी स्थापना और पूजन के बाद गजरथ-स्थल पर ध्वजारोहण किया गया। ध्वज राष्ट्र और धर्म के मान-सम्मान का प्रतीक होता है। इसे फहराने के साथ ही राष्ट्र विजय-यात्रा और धर्मरथ यात्रा का श्रीगणेश होता है। इसी शुभ-भावना के साथ प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी विनय भैया द्वारा ध्वजारोहण का विधान सम्पन्न् कराया गया। इससे पूर्व विधिवत पूजन-अर्चन हुआ। 
भोजन शालाओं में जैनी आहार उपलब्ध- पहले दिन से ही भोजन शालाओं में जैनी आहार उपलब्ध करा दिया गया। घटयात्रा और ध्वजारोहण के बाद गजरथ महोत्सव में शामिल होने आए श्रद्धालुओं ने भोजन ग्रहण किया। उल्लेखनीय है कि सामान्य, त्यागी-व्रती और प्रमुख पात्र व इन्द्र-इन्द्राणी आदि के लिए तीन तरह की भोजन शालाएं शुरू की गई हैं। 
प्रेस कॉफ्रेंस में भी दी गई शहीदों को श्रद्धांजलि- जैन तीर्थ पिसनहरी की मढ़िया में प्रेस कॉफ्रेंस की शुरूआत भी पुलवामा शहीदों को श्रद्धांजलि के साथ हुई। गजरथ आयोजन समिति के साथ पत्रकारों ने भी दो मिनट का मौन रखा। सभी ने सीमा और सैनिकों के लिए दिल से प्रार्थना की। 
बॉक्स…पुलवामा शहीद परिजन सहायता कोष के लिए एक लाख एक हजार रुपए देने की घोषणा- विधानाचार्य ब्रह्मचारी त्रिलोक भैया की उपस्थिति में गजरथ कमेटी के महामंत्री आनंद सिंघई, पिसनहारी मढ़िया के अध्यक्ष राजेन्द्र कुमार जैन, ट्रस्ट के प्रधनमंत्री राकेश चौधरी , अशोक जैन , अनुपम बेंटिया , प्रचार प्रमुख संजय चौधरी  ने घोषणा की कि पुलवामा शहीद परिजन सहायता कोष के लिए एक लाख एक हजार रुपए भेजे जाएंगे। 
शहर में चौथी बार हो रहा गजरथ का आयोजन- ब्रह्मचारी त्रिलोक भैया ने बताया कि इससे पूर्व जबलपुर में तीन गजरथ महोत्सव हो चुके हैं, यह चौथा गजरथ महोत्सव है। बिम्ब मूर्ति को कहते हैं और जिन यानी जिनेन्द्र भगवान, इस तरह श्रीमज्जिनेन्द्र जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा का अर्थ हुआ श्रीभगवान की पाषाण प्रतिमा में गर्भ, जन्म, दीक्षा, केवल-ज्ञान और मोक्ष संबंधी पंच-विधानों के माध्यम से प्राण-प्रतिष्ठा करना। 
बॉक्स…गज मंगल का प्रतीक, इसलिए रथ के आगे चलेगा- उन्होंने बताया कि गज यानी हाथी मंगल का प्रतीक होता है, इसलिए इसलिए गजरथ के समापन दिवस 23 फरवरी को गज रथ के आगे चलेगा और उसके पीछे रथ पर प्रतिष्ठित विधि-नायक भगवान  गजरथ-मंदिर परिसर के सात फेरे लगाएंगे। इसी के साथ मंदिर में विराजमान सवा 11 फीट की देशभर में अब तक की सबसे बड़ी मुनिश्री सुव्रतनाथ भगवान की श्यामवर्ण पद्मासिनी प्रतिमा सदैव के लिए पूजनीय हो जाएगी। 
रात्रि में संगीतमयी आरती, प्रवचन व सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए- शुभारंभ दिवस पर उल्लास व उमंग के रंग बिखेरते हुए रात्रि 7 बजे के बाद संगीतमयी महाआरती, विद्वानों के प्रवचन और अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। महापौर स्वाति सदानंद गोड़बोल ने गजरथ स्थल पहुच के व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया एवं निगम अधिकारियों को निर्देशित किया कि गजरथ में किसी भी तरह की परेशानी न हो , महापौर ने पूर्व राज्य मंत्री शरद जैन के साथ मुनि योग सागर महाराज से आशीर्वाद लिया ।
आज के कार्यक्रम- गजरथ महोत्सव में सोमवार 18 फरवरी को सुबह पात्र शुद्धि, सकलीकरण, नांदीविधान, इन्द्रप्रतिष्ठा, नित्यमह अभिषेक, शांतिधारा पूजन, आचार्यश्री का पूजन व महाराजश्री के प्रवचन, यांगमंडल विधान, संगीतमयी महाआरती, विद्वानों के प्रवचन, सौधर्म इन्द्र सभा, आसन कम्पायमान, नगरी की रचना, माता-पिता की स्थापना, अष्ट देवियों द्वारा माता की परिचर्या, सौलह स्वप्न दर्शन, गर्भ कल्याणक की आंतरिक संस्कार क्रियाएं सम्पन्न् होंगी।  ◆

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